नई दिल्ली। भारतीय सेना ने पहली बार नियंत्रण रेखा के पास महिला सैनिकों की एक टुकड़ी तैनात की है। इन सैनिकों ने जम्मू-कश्मीर में एक विश्वासघाती और रणनीतिक पहाड़ी मार्ग साधना पास का निर्माण किया, जिसमें तीनों तरफ एलओसी है। नियंत्रण रेखा के पास तैनात इन महिलाओं द्वारा 10,200-फुट ऊंचे दर्रे की निगरानी करने करेगीं। जो गोलाबारी के साथ जीना सीखती हैं और आने वाली चुनौतियों के लिए उत्साहित रहती हैं।
आर्मी सर्विस कॉर्प्स की कैप्टन गुरसिमरन कौर के नेतृत्व में महिला सैनिक भारत के सबसे पुराने अर्धसैनिक बल, असम राइफल्स से डेप्यूटेशन पर हैं, जिस पर सेना का परिचालन नियंत्रण है। महिलाओं की इस पलटन को सीमा पार से मादक पदार्थों और हथियारों की तस्करी की जांच करने की जिम्मेदारी दी गई है।
28 वर्षीय असम राइफल्स की महिला सैनिक वंजेन (दूसरी साथियों की तरह दूसरा का दूसरा हिस्सा न बताने की शर्त पर) ने बताया कि उन्हें नागालैंड और मेघालय में छह साल का अनुभव है।
उनके मुताबिक, पहली बार हमने नीचे घाटी में एक आर्टिलरी शेल ड्रॉप सुना था। मैं और मेरी प्लैटून सदस्य इसके बाद एक अंडरग्राउंड बंकर में पहुंचे। दीवार की ओर हम वापस हुए, दिल की धड़कने बढ़ गई थीं और फिर हमने तेजी से हेडकाउंट किया। हमने इसके बाद ये कई बार किया। हर बार इसका एक अलग एहसास रहता है। वंजेन मानती हैं कि ये बिल्कुल नई बैटलफील्ड है। यह समुद्र तल से 10,200 फुट ऊपर है, जहां ठंडी हवाएं चलती हैं। उनके अनुसार, बंकर में हमारे लिए खास पल होता है, हम इस दौरान एक-दूसरे को देखते हैं और महसूस करते हैं कि हमने वास्तविक जीवन में खुद को नायक बनाया है, वीमेन ऑफ स्टील।