पिछली कई स्टडीज में ये बात सामने आ चुकी है कि कोरोना वायरस का खतरा मोटे लोगों में ज्यादा है. हालांकि अब कुछ हेल्थ एक्सपर्ट ने मोटे लोगों को लेकर कुछ और चिंता जाहिर की है. हेल्थ एक्सपर्ट को इस बात का डर है कि अगर कोरोना वायरस की वैक्सीन आ भी गई तो वो मोटे लोगों पर असर नहीं करेगी और उनमें पहले की तरह संक्रमण का खतरा बना रहेगा.
पिछली कई स्टडीज में पाया गया है कि इन्फ्लूएंजा और हेपेटाइटिस बी वैक्सीन का असर मोटे लोगों पर कम होता है, जिसकी वजह से वो जल्दी बीमार पड़ते हैं और उन्हें कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है. यहां तक कि कभी-कभी उनके कई अंग काम करना बंद कर देते हैं जिससे उनकी मौत भी हो सकती है. मई 2017 की एक स्टडी के अनुसार, हेपेटाइटिस बी वैक्सीन की वजह से मोटे लोगों में बनी एंटीबॉडी पतले लोगों की तुलना में काफी कम हो गई थी
बर्मिंघम में अलाबामा यूनिवर्सिटी के बायोकेमिस्ट्री प्रोफेसर डॉक्टर चाड पेटिट ने डेली मेल अखबार को बताया, ‘ऐसा नहीं है कि ये कोरोना वायरस की वैक्सीन मोटे लोगों पर काम नहीं करेगी लेकिन सवाल ये है कि ये मोटे लोगों पर कितनी प्रभावी साबित होगी. दूसरे शब्दों में कहें तो ये वैक्सीन मोटे लोगों पर काम तो करेगी लेकिन उतनी असरदार नहीं होगी
अमेरिका के सीडीसी के अनुसार, यहां के लगभग 42.4 फीसदी वयस्क मोटापे के शिकार हैं जबकि बच्चों का आंकड़ा 18.5 फीसदी
मोटापा टाइप 2 डायबिटीज, स्ट्रोक, दिल का दौरा और यहां तक कि कुछ तरह के कैंसर के लिए भी खतरनाक माना जाता है. एक्सपर्ट ने चेतावनी दी है कि ज्यादातर युवाओं को मोटापे की शिकायत है जिसकी वजह से अमेरिका में मोटे वयस्कों का ये आंकड़ा और बढ़ता जाएगा.
गंभीर रूप से अधिक वजन वाले लोगों का इम्यूनिटी सिस्टम भी कमजोर हो जाता है. मोटापे की वजह से इनके इम्यून सिस्टम में सूजन आ जाती है जिसकी वजह से शरीर सही तरीके से वायरस से नहीं लड़ पाता है. पहले भी ऐसे कई मामले आ चुके हैं जिसमें वैक्सीन लगाए जाने के बाद मोटे लोगों में खराब इम्यून रिस्पान्स देखने को मिला है
वेंडरबिल्ट यूनिवर्सिटी मेडिकल सेंटर में संक्रामक रोगों के प्रोफेसर डॉक्टर विलियम शेफनर का कहना है कि मोटे लोगों के लिए वैक्सीन के इंजेक्शन का आकार काफी मायने रखता है. आमतौर पर वैक्सीन में 1 इंच सुई का इस्तेमाल होता है जो जरूरत से ज्यादा वजन वाले लोगों के लिए प्रभावी नहीं होता है. मोटे लोगों पर लंबी सुई ज्यादा काम करती है
, ‘डॉक्टरों को सुई की लंबाई को लेकर बहुत सावधानी बरतनी चाहिए. अगर आप इंट्रामस्क्युलर इंजेक्शन दे रहे हैं तो ये वास्तव में मांसपेशियों तक पहुंचना चाहिए.’ डॉक्टर शेफनर ने लोगों को आम फ्लू के लिए भी वैक्सीन लगवाने पर जोर दिया