रायपुर : नए साल के उदय के साथ ही प्रदेश के कोरबा स्थित विद्युत ताप संयंत्र का सूरज अस्त हो गया. जी हां, 2021 के आगाज के साथ ही गुरूवार रात 12 बजे से प्लांट को बंद कर दिया गया. इसकी वजह रही प्लांट से हो रहे प्रदुषण. इसे लेकर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) ने भी राज्य सरकार से इसे बंद करने की सिफारिश की थी. प्लांट के 50-50 मेगावाट की 4 यूनिट को 2 साल पहले ही बंद किया जा चुका है. वहीं अब 120-120 मेगावाट की युनिट पर भी ताला जड़ दिया गया है.
1976 में हुई थी स्थापना
भारत हैवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड (BHEL) के सहयोग से 1976 और 1981 में कोरबा में विद्युत ताप संयंत्र की 120-120 मेगावाट की दो इकाइयों स्थापित की गई थीं. इसके बाद ही कोरबा को ऊर्जा नगरी के रूप में पहचान मिली. अपने 45 साल के इस सफर में प्लांट ने न केवल मध्य प्रदेश, बल्कि अन्य राज्यों को भी सेवाएं दी. अब दोनों इकाइयों से औसतन 90-90 मेगावॉट ही बिजली का उत्पादन हो रहा था.
छत्तीसगढ़ राज्य ऊर्जा उत्पादन कंपनी लिमिटेड (CSPGCL) इन प्लांट्स को संचालित कर रही थी. पहले बंद 4 इकाइयों के स्क्रैप को 75 करोड़ रुपये में खरीदा है. वहीं अभी बंद हुए प्लांट्स के स्क्रैप का का सौदा नहीं हुआ है. दोनों प्लांट्स में 454 नियमित और 550 ठेका कर्मचारी कार्यरत थे. इनमें से 150 का हसदेव ताप विद्युत संयंत्र कंपनी व डा. श्यामा प्रसाद मुखर्जी ताप विद्युत गृह में ट्रांसफर किया गया है.